“में जीवन भर उन सभी पत्थरो को पूजना चाहता हूँ जो स्थानाभाव के कारण यधपि किसी मन्दिर में नहीं लग पाए किन्तु घुद्क्ते , घुद्क्ते महादेव बन गए | कवि अमृत “वाणी”

Literature
मां शारदा की खास मेहरबानी से कलम और ख्याली ओजारों से वक्त के खाते में से वक्त बेवक्त कुछ-कुछ वक्त निकाल कर उन तमाम हीरों को जहां तक मुनासिब हुआ तराशने की मैं मेरी ओर से लाजवाब कोशिसे करता रहा

Audio
संगीत संसार का जिंदा जादू था, है और रहेगा। सरगम के सांचों में ढला हुआ शब्द चरमोत्कर्ष पाकर शब्द-ब्रह्म बन जाता है। संगीत की सिद्ध स्वर-लहरियाँ गायक को ही नहीं, श्रोताओं को भी अमर करने की सामथ्र्य रखती हैं, यथा-श्रीकृष्ण
मेरी नज्में मेरी तहरीर के ये मीठे खंजर आपके जिगर के आजू-बाजू होकर निकल जावेंगे या किसी मुसाफिर की तरहां कुछ पल ठहर सकेंगे । बेशक यह भी मुनासिब है कि मेरे ख्याल आपके दिलों दिमाक में मकान मालिक की तरहां जम जाए और आपके पुश्तेनी सोच को भटकता हुआ राहगीर बनादे । मेरे तोहफों का आखिरी अंजाम किसकिश्म का होगा इस मुतालिक इस वक्त मैं आपसे कोई वादा इसलिए भी नहीं करना चाहूंगा कि मैं वादा खिलाफीको कतई पसंद नहीं करता हूं ।
वास्तु शास्त्र
- आपके मुख्य द्वार के बाहर का क्षेत्र साफ-सुथरा एवं खुला रखना चाहिए |
- मुख्य द्वार की ऊर्ध्वाकार मध्य रेखा घर की लम्बाई या चौड़ाई के ठीक बीचों-बीच नहीं पढ़नी चाहिए |
- हंस का जोड़ा
- माँ लक्ष्मी और कुबेर की मूर्ति
- पूर्व एव उत्तर मुखी द्वार के सामने कोई मंदिर, बड़े ऊँचे भवन या ऊंची दीवार इत्याद होने से उन्नति बाधित होती है |
जीवन के सहचर
काव्य वाणी
मेरी वेब साईट मेरे निजी ख्यालों का यानि कि जिंदगी से जुड़े हुए रूहानी नजरियों का वो कागजी पुलिंदा है जो ठसाठस भरे हुए बैंक लोकर्स से भी लाखों गुना ज्यादा अपनी जाईन्दा औलादों की तरहां बेहद अजीज है।
